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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय

Tips to Increase Immunity

किसी भी बीमारी के विरुद्ध लड़ने के लिए हमारे शरीर में मौजूद सुरक्षा तंत्र को रोग प्रतिरोधक तंत्र या इम्युनिटी सिस्टम कहा जाता है। हमारा शरीर बहुत से रोगकारक इकाइयों (बैक्टीरिया, वायरस आदि) के संक्रमण से शरीर को सुरक्षित रखने के लिए श्वेत रक्त कणिकाओं, एंटी-आक्सीडेंट आदि यौगिकों से प्रतिरक्षा तंत्र का निर्माण करता है; जो शरीर की इन रोगों से रक्षा कर प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो तो वो व्यक्ति बीमारियों से जल्दी ग्रसित हो जाता है और अगर व्यक्ति स्वस्थ हो और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो तो उसे आसानी से बीमारियां नहीं हो सकती हैं। स्वस्थ शरीर में बीमारियों  से लड़ने की क्षमता अधिक  होती है।
शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी के बहुत से कारण हो सकते हैं। वर्तमान समय में व्यस्त जिंदगी, प्रदूषित वातावरण, खानपान में उचित पोषण ना हो पाना, और भी कई दैनिक कार्यों में खुद के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही जैसे कारण इसके प्रमुख लक्षण हैं। रोग प्रतिरोक क्षमता पर प्रभाव डालने में व्यक्ति की दिनचर्या और खानपान का प्रमुख भूमिका रहती है।

इम्युनिटी/प्रतिरोधक क्षमता में कमी के कारण

प्रतिरोधक क्षमता में कमी के कारण व्यक्ति को मौसमी संक्रमण और शारीरिक व्याधियाँ, जैसे बुखार, कमजोरी, सुस्ती आदि, बहुत जल्दी घेर लेती है। इसके मुख्य कारणों में बहुत लम्बे समय तक बाहर का खाना या डिब्बाबंद जंक फूड का सेवन करना है।

खाना जितना पुराना या बासी होता है उसके पोषक तत्व खाने से नष्ट होने लगते हैं। सभी प्रोसेस्ड खाने में प्रिजरवेटिव मिलाये जाते हैं, जो खाने को को लंबे समय तक संरक्षित रखते हैं। परन्तु इनका लम्बे समय तक सेवन करने से स्वास्थ्य में हानिकारक प्रभाव दिखते हैं। रात भर में जगना और दिन में सोना या देर रात में सोना और सुबह देर से उठने से भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में असर पड़ता है।

हमारे शरीर को पानी की जरुरत पूरे दिनभर होती है। कम पानी के सेवन से शरीर सही तरीके से काम नहीं कर पाता है और इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमी आती है। अवसाद से ग्रसित लोगों में भी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
अक्सर लोग सुस्ती या आलस्य के कारण शारीरिक और मानसिक श्रम करने बचने का प्रयास करते हैं और अपनी दिनचर्या में कुछ भी शारीरिक कार्य को नजरअंदाज करते हैं, इससे भी प्रतिरोधक क्षमता/इम्युनिटी प्रभावित होती है।

इम्युनिटी/प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय

शरीर को बीमारियों या संक्रमण से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, आइये जानते हैं कि कैसे हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

संतुलित भोजन

हमारे शरीर को स्वस्थ बनाने में हमारे भोजन की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। समय पर और संतुलित भोजन के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। रोजाना नाश्ता, दोपहर का खाना और रात के खाने को निश्चित समय पर करने से शरीर सही ढंग से काम करता है।

अपनी दिनचर्या में पौष्टिक और संतुलित आहार को शामिल करें। रोजाना कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन,  विटामिन, मिनरल्स, फाइबर आदि को अपने खाने में जरुर लें। अपने खाने की एक लिस्ट बना कर उसके हिसाब से भोजन करें। भोजन में अंकुरित दालें, दूध, सब्जियाँ आदि का सेवन करें और फलों मे अधिकतर विटामिन-C युक्त रसदार फलों का सेवन करें; इनमें एंटी-आक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। खाने में अदरक, लहसुन का प्रयोग और प्रतिदिन दूध या डेयरी प्रोडक्स का सेवन अवश्य करें।

पानी और ब्लैक टी

प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए दिन में 1-2 कप ब्लैक टी या ब्लैक लेमन टी या ग्रीन टी पीनी चाहिए। यह शरीर में एंटीआक्सीडेंट की मात्रा और स्फूर्ति को बढ़ावा देती है। ब्लैक टी और ग्रीन टी के सेवन से शरीर में और फायदे भी होते हैं। ब्लैक टी में अदरक या काली मिर्च या सोंठ मिलाने से शरीर की रोग प्रतिरोधकता में इजाफा होता है।

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दिनभर में  8-10 गिलास पानी या 2-2.5 लीटर पानी जरुर पीना चाहिए। पानी के अलावा फलों के जूस का सेवन करना चाहिए  शरीर मे पानी की कमी होने पर शरीर कमजोर हो जाता है और इस से व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट आ जाती है।

सूखे मेवे

सूखे मेवे जैसे बादाम, किशमिश, मुनक्का और अंजीर आदि को रात भर भिगोकर सुबह में खाली पेट सेवन करें। सूखे मेवों में भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन और पौष्टिक तत्व शामिल रहते हैं; जो ना सिर्फ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ातें हैं बल्कि शारीरिक ताकत को भी बढ़ातें हैं। सूखे मेवे शरीर में एंटी आक्सीडेंट की मात्रा बढ़ा कर हानिकारक पदार्थ से लड़ने में मदद करता है। बादाम और मूंगफली में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में होता है जो दिल की बीमारी से रक्षा करता है। अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं जो ग्रे सेल को बढ़ने मदद करतें हैं।सूखे मेवों का रोजाना सेवन करने से स्वास्थ्य में अच्छा प्रभाव पड़ता है।

नींद

एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए दिन भर में 6-8 घंटे की नींद बहुत जरूरी होती है। नए सर्वे से खुलासा हुआ है कि जो लोग पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं या नींद के बीच में जाग जाते हैं या फिर रात में काम करतें हैं और दिन में सोते हैं, उनका इम्युन सिस्टम कमजोर होता है। डाक्टर भी ऐसे व्यक्तियों को कम से कम 1 हफ्ते के आराम और भरपूर नींद की सलाह देते हैं। रात में पर्याप्त नींद लेने से शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार का स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

योग और व्यायाम

बहुत से लोग योग और व्यायाम को गंभीरता से नहीं लेते। योग, व्यायाम और सुबह की सैर से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। रोजाना ध्यान, प्राणायाम, भ्रामरी, अनुलोम-विलोम, सर्वांगासन, भुजंगासन, सूर्यनमस्कार, धनुरासन आदि करने से शारीरिक दुर्बलता कम होने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

विटामिन डी

शरीर में विटामिन डी की कमी आज के दौर में सबसे बड़ी समस्या। हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में रीढ़ की हड्डी (bone marrow) का अहम स्थान है। विटामिन डी हड्डियों की सुरक्षा के लिए और रोग प्रतिरोधक  अवयवों के निर्माण के लिए खास तौर पर आवश्यक है।सूर्य प्रकृति में विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है और सुबह के समय सूरज की रोशनी में रहने से सबसे अधिक मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है। सूर्योदय के समय पर सूरज की रोशनी शरीर के जितने ज्यादा भाग पर सीधे तौर पर पड़ती है, उतना ज्यादा विटामिन डी शरीर को मिलता है और शरीर आंतरिक रुप से उतना मजबूत होता है। रोजाना कम से कम 15-25 मिनट सूरज की रोशनी अवश्य लें।

हार्मोनल असंतुलन

मस्तिष्क शरीर के सभी हार्मोन्स को नियंत्रित करने में अहम भूमिका अदा करता है। परंतु कोई व्यक्ति यदि अवसाद से ग्रसित हो तो शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है और शरीर विभिन्न प्रकार के बीमारियों के चपेट में आ जाता है। शरीर अपना प्रतिरक्षा तंत्र बनाने में असफल रहता है जिससे प्रतिरोधक क्षमता में प्रभाव पड़ता है।

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अवसाद की समस्या से बचने के लिए परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताये। किसी मनोरोग विशेषज्ञ से बात कर के उन्हें अपनी पूरी स्थिति से अवगत कराए। जितना हो सकें अपने परिवार के सम्पर्क में रहें और किसी भरोसेमंद नजदीकी दोस्त या प्रियजन से अपनी सारी स्थिति साझा करते रहें। अच्छी किताबें या उपन्यास पढ़े, और अपनी एक दिनचर्या बनायें और उस दिनचर्या का पालन करें।

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